लेखक – निर्भय बोल टीम
तारीख – 30 जुलाई 2025
🔶 भूमिका
जब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में कहा – “हमारा कदम न तो उकसावे वाला था, और न ही विस्तारवादी”, तो संसद में एक पल को सन्नाटा छा गया।
सभी सांसद, दर्शक और पूरा देश जानना चाहता था कि आख़िरकार इस ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के पीछे की पूरी सच्चाई क्या है।
ये सिर्फ़ एक सैनिक कार्रवाई नहीं थी, बल्कि एक बड़े राजनीतिक, कूटनीतिक और राष्ट्रीय सुरक्षा के विमर्श की शुरुआत थी।
🔷 सरकार का पक्ष
चित्र स्रोत: Deccan Herald / CC-BY-SA
सरकार का कहना है कि ऑपरेशन सिंदूर पूरी तरह से पूर्व नियोजित और सटीक कार्रवाई थी।
- रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बताया कि इस ऑपरेशन में 25 मिनट के अंदर 9 आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया गया।
- कोई भारतीय सैनिक हताहत नहीं हुआ और नागरिकों को बचाने के लिए प्रार्थना के समय का ख़ास ध्यान रखा गया।
- ये ऑपरेशन जम्मू-कश्मीर के पहलगाम हमले के जवाब में किया गया, जिसमें 26 निर्दोष लोग मारे गए थे।
गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष पर हमला बोलते हुए कहा कि:
“ये पहली बार नहीं है जब कांग्रेस और कुछ पार्टियों ने राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे मुद्दे को भी सियासत का अखाड़ा बना दिया हो।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जोर देकर कहा:
“भारत अब किसी और के कहने पर नहीं चलता। हम अपने फैसले खुद लेते हैं। जब हमारी सीमा पार से 1000 से ज्यादा ड्रोन और मिसाइलें आईं, हमने एक भी नुकसान नहीं होने दिया।”
पीएम के जवाब में नाम न लेने का कूटनीतिक मतलब: जनता की उम्मीदें और सवाल
प्रधानमंत्री ने संसद में सीधे ट्रंप का नाम लिए बिना जवाब दिया। ऐसे गंभीर मुद्दों पर साफ़ और स्पष्ट जवाब की जनता उम्मीद करती है, ताकि कोई भ्रम न रहे।
नाम न लेने का फैसला कूटनीतिक लिहाज से समझा जा सकता है, लेकिन इससे सवाल भी उठते हैं। देश चाहता है कि भविष्य में इस तरह के मामलों में पूरी पारदर्शिता हो, ताकि भरोसा बना रहे और राष्ट्रीय एकता मजबूत हो।
🔷 विपक्ष की आपत्तियाँ
चित्र स्रोत: Free Press Journal / CC-BY-SA
कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, और टीएमसी समेत कई विपक्षी दलों ने इस कार्रवाई को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए।
- गौरव गोगोई ने पूछा – “जब हमला 22 अप्रैल को हुआ, तो जवाब 17 दिन बाद क्यों आया?”
- प्रियंका गांधी ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह हर बार भावना और इतिहास के नाम पर असली जवाबों से बचती है।
उन्होंने कहा – “देश जानना चाहता है, सिर्फ़ मां के आंसुओं की बात कर देने से जवाबदेही पूरी नहीं होती।” - अखिलेश यादव बोले – “आपने पाकिस्तान के खिलाफ हमला किया या चीन से निपटने की तैयारी की? क्योंकि सीमा से ज़्यादा खतरा तो अब पूरब से दिख रहा है।”
🔷 विश्लेषण – बीच की बात
🔸 सवाल नंबर 1: ऑपरेशन में देर क्यों हुई?
सरकार कहती है कि उन्होंने पूरा इन्टेलिजेंस, प्लानिंग और नैतिक दायरे में रहकर कार्रवाई की।
लेकिन विपक्ष मानता है कि ये 17 दिन की देरी, चुनावी रणनीति का हिस्सा हो सकती है।
🔸 सवाल नंबर 2: जनता को जानकारी क्यों नहीं दी जा रही?
सरकार कहती है – “सुरक्षा मामलों में हर बात सबको नहीं बताई जा सकती।”
पर विपक्ष पूछता है – “क्या सिर्फ मीडिया बाइट देना ही जवाबदेही है?”
🔸 सवाल नंबर 3: क्या भारत की कहानी दुनिया तक पहुँची?
सरकार का दावा है कि भारत अब आत्मनिर्भर और दृढ़ है।
लेकिन TMC और कुछ अन्य नेताओं का मानना है कि विदेशों में इस ऑपरेशन की गूंज नहीं सुनाई दी, वहां headlines में Israel, US और Trump छाए रहे।
🔷 आगे क्या?
- संसद की रक्षा समिति में इस ऑपरेशन की पूरी जानकारी देने की मांग ज़ोर पकड़ रही है।
- संभावना है कि अगस्त के मानसून सत्र में फिर से इस मुद्दे पर बहस होगी।
- कुछ विपक्षी दल इस ऑपरेशन की जांच या कम से कम आधिकारिक रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग भी कर सकते हैं।
🔷 निष्कर्ष
ऑपरेशन सिंदूर ने ये साबित किया कि भारत अब सिर्फ़ शब्दों से नहीं, एक्शन से जवाब देता है।
हमारी फौज, हमारी इंटेलिजेंस और रणनीतिक सोच ने मिलकर दुश्मनों को करारा जवाब दिया।
लेकिन लोकतंत्र में सिर्फ़ गोली नहीं, जवाब भी ज़रूरी होता है।
हां, हम मारते हैं — लेकिन जवाब भी देते हैं।
जब तक हर नागरिक सुरक्षित न हो, हर जवान सलामत न हो, और हर सवाल का सच में जवाब न मिले — तब तक ऑपरेशन के बाद संसद की चर्चा ज़रूरी है।
🔻 आपका क्या विचार है?
क्या ऑपरेशन सिंदूर एक सफल और ज़िम्मेदार कार्रवाई थी?
या फिर इसके पीछे कुछ अधूरी बातें छुपी हुई हैं?
कमेंट में अपनी राय ज़रूर लिखें।
Agreed with your opinion.
Perfect analysis ..good summarization ..good job done..all the best.
Operation Sindoor ek jimmedaar karyvahi Thi aur Sahi samay per sahi satikta se karyvahi Hui
Aur yahi Sach Hai ki har sawal ka jawab nahin diya jata yah Suraksha ka mamla Hai